मुख्य बिंदु:
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जल संकट की गंभीरता: जौनपुर जिले के 14 ब्लॉक भूजल संकटग्रस्त श्रेणी में आते हैं, जिसमें 7 अति-दोहित, 2 क्रिटिकल और 5 सेमी-क्रिटिकल ब्लॉक शामिल हैं। Jagran
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जल स्रोत्रों की स्थिति: कई क्षेत्रों में जलस्तर अत्यधिक नीचे गिर चुका है, जैसे चन्दवक ब्लॉक में जलस्तर 15.48 मीटर तक पहुंच चुका है। prarang.in
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जल स्रोत्रों की दूषित स्थिति: शाहगंज क्षेत्र में जल स्रोत्रों की गुणवत्ता खराब है, जिससे पानी पीने योग्य नहीं है। prarang.in
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जल सखी योजना: जिले में जल सखी योजना के तहत महिलाओं को जल शुद्धता की जांच और जल स्रोत्रों की सफाई की जिम्मेदारी दी गई है। Dainik Bhaskar
जिले में पीने के पानी की गुणवत्ता को लेकर स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। हाल ही में किए गए जल परीक्षणों में यह सामने आया है कि जौनपुर के विभिन्न क्षेत्रों से लिए गए पानी के नमूनों में टीडीएस (कुल घुलित ठोस पदार्थ) का स्तर 443 mg/L से लेकर 2434 mg/L तक पाया गया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के अनुसार, पीने के पानी में टीडीएस का आदर्श स्तर 500 mg/L से कम होना चाहिए। जबकि 1000 mg/L से ऊपर के स्तर को संभावित रूप से अस्वास्थ्यकर माना जाता है। इस लिहाज़ से जौनपुर के कई क्षेत्रों में पानी पीने योग्य नहीं रह गया है।
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प्रमुख कारण:
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भौगोलिक स्थिति: गंगा और गोमती नदियों के समीप स्थित होने के कारण सतही और भूजल में प्राकृतिक खनिजों की मात्रा अधिक हो सकती है।
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औद्योगिक और कृषि अपवाह: इन क्षेत्रों से निकलने वाला रसायनिक अपशिष्ट और उर्वरक जल स्रोतों को प्रदूषित करते हैं।
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जल स्रोतों का प्रकार: सतही जल (जैसे तालाब, नदियां) और भूजल (हैंडपंप, ट्यूबवेल) में टीडीएस स्तर में अंतर देखा गया है।
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मौसमी प्रभाव: बारिश और सूखे की स्थिति जल गुणवत्ता को प्रभावित करती है।
प्रशासन द्वारा समय-समय पर जल परीक्षण और जागरूकता अभियान चला रहा है।
