जौनपुर में जल संकट और दूषित जल की समस्या: क्या पानी पीने योग्य है?

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जौनपुर:  जिले में जल गुणवत्ता की स्थिति चिंताजनक है। कई क्षेत्रों में जल स्रोत्र दूषित हैं और जलस्तर में गिरावट आई है। इसलिए, स्थानीय निवासियों को जल की गुणवत्ता की जांच और जल स्रोत्रों की सफाई के लिए प्रशासन और संबंधित विभागों से सहयोग लेनी चाहिए। जन-मानस को सही जानकारी प्राप्त होने पर टीडीएस वाला पानी पीने से पेट संबंधी रोग, पथरी, त्वचा संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होने से रोका जासकता है।

जौनपुर जिले में जल गुणवत्ता और जल संकट की स्थिति गंभीर बनी हुई है। हालांकि जल में कुल घुलित ठोस पदार्थ (TDS) की सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन जल स्रोत्रों की स्थिति और जल संकट के मद्देनजर यह चिंता का विषय है।

मुख्य बिंदु:

  • जल संकट की गंभीरता: जौनपुर जिले के 14 ब्लॉक भूजल संकटग्रस्त श्रेणी में आते हैं, जिसमें 7 अति-दोहित, 2 क्रिटिकल और 5 सेमी-क्रिटिकल ब्लॉक शामिल हैं।Jagran

  • जल स्रोत्रों की स्थिति: कई क्षेत्रों में जलस्तर अत्यधिक नीचे गिर चुका है, जैसे चन्दवक ब्लॉक में जलस्तर 15.48 मीटर तक पहुंच चुका है।prarang.in

  • जल स्रोत्रों की दूषित स्थिति: शाहगंज क्षेत्र में जल स्रोत्रों की गुणवत्ता खराब है, जिससे पानी पीने योग्य नहीं है।prarang.in

  • जल सखी योजना: जिले में जल सखी योजना के तहत महिलाओं को जल शुद्धता की जांच और जल स्रोत्रों की सफाई की जिम्मेदारी दी गई है।Dainik Bhaskar

जौनपुर में पीने के पानी के लिए टीडीएस (कुल घुले हुए ठोस पदार्थ) का आदर्श स्तर 50 से 300 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) के बीच होना चाहिए, हालांकि, भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के अनुसार, पानी में टीडीएस की ऊपरी सीमा 500 पीपीएम है।

विस्तार से:

आदर्श टीडीएस:
50 से 300 पीपीएम के बीच का टीडीएस स्तर पीने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है, क्योंकि इस स्तर में पानी में आवश्यक खनिज मौजूद होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। 

सुरक्षित टीडीएस:
300 पीपीएम से अधिक टीडीएस वाले पानी में कुछ खनिजों की मात्रा अधिक हो सकती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं।

अधिक टीडीएस:
500 पीपीएम से अधिक टीडीएस वाले पानी को पीने के लिए असुरक्षित माना जाता है और यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

कम टीडीएस:
50 पीपीएम से कम टीडीएस वाला पानी पीने के लिए भी अच्छा नहीं माना जाता है क्योंकि इसमें आवश्यक खनिजों की कमी होती है।

जिले में पीने के पानी की गुणवत्ता को लेकर स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। हाल ही में किए गए जल परीक्षणों में यह सामने आया है कि जौनपुर के विभिन्न क्षेत्रों से लिए गए पानी के नमूनों में टीडीएस (कुल घुलित ठोस पदार्थ) का स्तर 443 mg/L से लेकर 2434 mg/L तक पाया गया।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के अनुसार, पीने के पानी में टीडीएस का आदर्श स्तर 500 mg/L से कम होना चाहिए। जबकि 1000 mg/L से ऊपर के स्तर को संभावित रूप से अस्वास्थ्यकर माना जाता है। इस लिहाज़ से जौनपुर के कई क्षेत्रों में पानी पीने योग्य नहीं रह गया है।

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प्रमुख कारण:

  • भौगोलिक स्थिति: गंगा और गोमती नदियों के समीप स्थित होने के कारण सतही और भूजल में प्राकृतिक खनिजों की मात्रा अधिक हो सकती है।

  • औद्योगिक और कृषि अपवाह: इन क्षेत्रों से निकलने वाला रसायनिक अपशिष्ट और उर्वरक जल स्रोतों को प्रदूषित करते हैं।

  • जल स्रोतों का प्रकार: सतही जल (जैसे तालाब, नदियां) और भूजल (हैंडपंप, ट्यूबवेल) में टीडीएस स्तर में अंतर देखा गया है।

  • मौसमी प्रभाव: बारिश और सूखे की स्थिति जल गुणवत्ता को प्रभावित करती है।

उपलब्ध जानकारी:
जौनपुर में पानी की गुणवत्ता के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप स्थानीय जल आपूर्ति विभाग या जल शोधनकर्ता से संपर्क कर सकते हैं।

प्रशासन द्वारा समय-समय पर जल परीक्षण और जागरूकता अभियान चला रहा है।


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