मुख्य वक्ता वरिष्ठ हृदय एवं डायबिटीज रोग विशेषज्ञ डॉ. वी. एस. उपाध्याय ने बताया कि प्लाज्मा फेरेसिस तकनीक कई जटिल और गंभीर रोगों में उपयोगी साबित हो रही है। विशेष रूप से ऑटोइम्यून बीमारियों में यह तकनीक शरीर से हानिकारक एंटीबॉडी को हटाकर रोगी को राहत प्रदान करती है। इसके अलावा, यह किडनी फेल्योर जैसी स्थितियों में विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने में भी सहायक होती है।
डॉ. उपाध्याय ने स्पष्ट किया कि प्लाज्मा फेरेसिस एक ऐसी चिकित्सीय प्रक्रिया है, जिसमें रक्त से प्लाज्मा को अलग कर उसे या तो प्रतिस्थापित किया जाता है या उपचार के बाद पुनः रक्त में वापस डाला जाता है। यह प्रक्रिया सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (SLE), गुइलेन-बैरे सिंड्रोम, मायस्थेनिया ग्रेविस, थ्रोम्बोटिक माइक्रोएंजियोपैथिस (TMA), लिवर और किडनी की विफलता, प्रतिरोपण संबंधी जटिलताओं, और परिवारिक हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया जैसी बीमारियों में बेहद कारगर है।
डॉ. उपाध्याय ने यह भी जानकारी दी कि आशादीप हॉस्पिटल में अब एफेरेसिस मशीन की स्थापना हो चुकी है और प्लाज्मा फेरेसिस की सुविधा यहाँ उपलब्ध है। यह जौनपुर जैसे क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिससे गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को स्थानीय स्तर पर ही आधुनिक उपचार मिल सकेगा।
कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्थापक अध्यक्ष संजय केडिया ने अतिथियों का स्वागत किया, जबकि संचालन शकील अहमद ने किया। इस अवसर पर डॉ. दिलीप शुक्ला, डॉ. आयुष उपाध्याय, सैय्यद मोहम्मद मुस्तफा, डॉ. भास्कर, डॉ. एस. के. उपाध्याय, राम कुमार साहू, अवधेश मौर्य, शत्रुघ्न मौर्य, योगेश साहू, और नीरज शाह समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
