कैसे अधिकारी पहचानते हैं कि कोई आवारा कुत्ता पागल (रेबीजग्रस्त) है या आक्रामक है?


कुत्ते के चाटने या काटने से मौत, एक गलती पड़ सकती है भारी, रेबीज से 100% होगी मौत,



1. रेबीज (पागल) कुत्तों के लक्षण

भारतीय सुप्रीम कोर्ट एवं स्थानीय ABC (Animal Birth Control) नियमों के अनुसार, रेबीज से संदिग्ध कुत्तों की पहचान निम्नलिखित व्यवहारिक और शारीरिक लक्षणों के माध्यम से की जाती है:

  • बिना कारण की क्रूरतापूर्ण/aggressive प्रतिक्रिया (unprovoked frenzied aggression)

  • आवाज में बदलाव या भौंकने में कठिनाई

  • अत्यधिक लार, मुंह से झाग निकलना

  • अजीब चाल, लड़खड़ाना (staggering gait)

  • अपना इलाका ना पहचान पाना, disorientation

  • खुला जबड़ा, dropped jaw

  • खाली नजर, blank stare
    उन अफसरों और पशु चिकित्सकों को इन लक्षणों की पहचान करना सिखाया जाता है।India TodayTV9 BharatvarshAajTak

जब कोई कुत्ता इन लक्षणों के आधार पर संदिग्ध पाया जाता है, तो एक पैनल (जिसमें स्थानीय प्रशासन द्वारा नियुक्त पशु चिकित्सा विशेषज्ञ और पशु कल्याण संगठन का प्रतिनिधि शामिल होता है) उसकी जांच करता है। यदि पैनल को उच्च संभावना दिखाई देती है कि कुत्ता रेबीजग्रस्त है, तो उसे अलग (इंतेज़ारी) रखा जाता है—आमतौर पर यह अवधि लगभग 10 दिनों तक होती है—और फिर उसकी स्वाभाविक मृत्यु के बाद शव का सुरक्षित अंत किया जाता है।India TodayAajTak


2. आक्रामक (Aggressive) कुत्तों की पहचान

"आक्रामक कुत्तों" की श्रेणी अब सुप्रीम कोर्ट के नवीन निर्देशों में शामिल की गई है, जो ABC नियमों में पहले स्पष्ट नहीं थीं। इन्हें ऐसे कुत्ते माना जाता है जो:

  • नियमित रूप से लोगों पर काटने या उनके प्रति unwarranted/aggressive व्यवहार दिखाते हैं, जो सामान्य कुत्तों के व्यवहार से मेल नहीं खाता।

  • इसे तय करने के लिए उनके पिछले व्यवहार, हमले की प्रवृत्ति या निवास क्षेत्र का रिकॉर्ड जांचा जाता है।India TodayTV9 Bharatvarsh

इस श्रेणी में आने वाले कुत्तों को जनता की सुरक्षा के लिए अलग रखने की वकालत की गई है।


3. आधुनिक तकनीकों का उपयोग (पुरक दृष्टिकोण)

हालिया शोध में बताया गया है कि कई शहरों में AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) का उपयोग आवारा कुत्तों की पहचान और जोखिम क्षेत्रों की पहचान के लिए किया जा रहा है। उदाहरणस्वरूप, बेंगलुरु की 'एवम लैब्स' ने 'प्रोफियस' नामक AI टूल विकसित किया है, जो सैटेलाइट, CCTV और ड्रोन डेटा के जरिए खतरे वाले इलाकों का पता लगाता है। यह विधि सीधे व्यवहार पहचान से अलग है, लेकिन प्रबंधन में सहायक हो सकती है।Navbharat Times

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